पद राग रसिया न॰ ४

सत गुरु श्याम मोये लगत पियारा ये।

लगत पियारा मेरा हंस उबारा ये॥टेर॥

सिन्धु मांही डूबो जात, आय के गह्यो री हाथ।

कृपा कीनी दीनानाथ काढीयो किनारा ये॥१॥

काम क्रोध मग्न भारी, कर रहे मारा मारी।

सत गुरु आय मोये, दीनो इशारा ये॥२॥

सत गुरु श्री देव स्वामी, परि ब्रह्म पूर्ण नामी।

स्वामी दीप कहे भूलू नाही उपकारा ये॥३॥