पद राग मारवाडी ठेको न॰ ११

सुनो री सजनी मेरी लागो पीव सनेव।
भाग्य धन्य मेरा बांह गही गुरु देव॥टेर॥

पतियां बांचू श्याम जी की, नेणा झर रयो नीर।
चले फुहारा प्रेम का जी अमृत बरसे मेव॥१॥

अन पाणी भावे नरीं जी सूली सेज समान।
आज मिलावे श्याम सू तो करु चरणा की सेव॥२॥

चौथी मैडी मैं चढी जी पंथ निहारु आज।
बाटू बधाई पीव की तो लेवे सो नग देव॥३॥

श्री देवपुरी ब्रह्मा पीव है, ये मन भावे श्याम।
श्री दीप कहे मन भाविया जो हृदय ध्यान धरेव॥४॥