पद राग रसिया नं॰ १३८

सजनी मैं हूँ पियाजी री दासी ये।
बिछडिया राम पीव सत गुरु सा, जद की उदासी ये॥टेर॥

नीन्द न आवे, अन पाणी नहीं भावे,
उर बिच आवे है हुलासी ये॥१॥

राग रंग सिणगार न सुहावे,
स्वामी राजा कद पद धारसीये॥२॥

सत गुरु सायब देवपुरी सा,
श्री दीप कहे उर जोत प्रकाशी ये॥३॥