इस साल गुरुदेव ने गुरु पूर्णिमा का महोत्सव पाली जिले में स्थित विश्वदीप गुरुकुल स्वामी महेश्वरानन्द आश्रम में मनाया गया। देश के सभी कोनो से हजारो की संख्या में भक्तगण वहाँ उपस्थित हुए। विदेशों से करीब १०० शिष्य भी वहाँ पधारे। ११ जुलाई को रात्रि जागरण सत्संग हुआ और १२ को सुबह की मुहुर्त में गुरुदेव की चरण पादूका की पूजा की गई।
 
 
विश्वगुरु महामण्डलेश्वर परमहंस स्वामी महेश्वरानन्द पुरी जी महाराज ने भी अपने गुरुदेव की चरण पादूका की पूजा की और कहा "जो कुछ मुझे मिला गुरुदेव की कृपा से मिला"।
 
 
इस अवसर पर श्री विश्वगुरु ने कहा कि तीनो लोकों में गुरु का कोई तुल्य नहीं हैं। यदि पारस की तुलना भी गुरु से की जाये तो पारस हार जाता है क्योंकि पारस केवल लोहे को सुवर्ण में रुपांतरित कर सकता है पर पारस दूसरों को पारस नहीं बना सकता हैं। लेकिन जो भक्त सद् गुरु के चरणों में आश्रय लेता हैं उनको गुरु अपने समान ही बना देता है। इसलिये गुरु बडा हैं।
 

 

आज १३ जुलाई को विश्वगुरु गुरु पूर्णिमा का त्यौहार जाडन में मना कर अपने गुरु ब्रह्मलीन धर्म सम्राट स्वामी माधवानन्द जी महाराज के आश्रम नीपल, रानी में प्रणाम करने के लिये पधारे।