"पूज्यपाद हिंदुधर्मसम्राट परमहंस श्री स्वामी माधवानन्दपुरी जी गुरुदेव को उनके अवतार दिवस के उपलक्ष में हम उनको कोटि कोटि नमन करते है। पूज्य गुरुजी की दिव्यज्योति आज भी हमारे हृदय में भजन के रूप में और उनके आशीर्वाद के रूप संचरित है। "
विश्वगुरु महेश्वरानन्दपुरीजी
 
embodiment
 
इस वर्ष भारतीय तिथि के अनुसार होली गुरुजी का अवतारदिवस २२ अगस्त को मनाया गया । अलखपुरीजी सिद्धपीठ परम्परा के उत्तराधिकारी विश्वगुरुजी परमहंस श्री स्वामी महेश्वरानंदपुरीजी अपने पूज्यपाद गुरुदेव का स्मरण करते हुए कहते है कि " जाडन आश्रम में होली गुरुजी ने अपने अंतिम सत्संग में कहा कि जो भजन हमने गाये है, वे सब वेदस्वरूप है । इन भजनो का व्यवहारिक जीवन से सीधा सम्बन्ध है इसलिये इन से बुद्धि में संचरण होता है व आसानी से समझे जा सकते है ।
" आज होली गुरुजी का अवतार है , आप ऐसे विरले साधु थे, जो अपने गुरु भगवान श्री दीपनारायण महाप्रभुजी के साथ एकाकार हो गए थे। होली गुरुजी को भजन लिखने में इस प्रकार महारथ प्राप्त थी, कि वे सम्पूर्ण भजन को तत्काल लिख देते थे, जैसे प्रतीत होता था कि साक्षात् महाप्रभुजी ही उनकी कलम मे समा गये है। यह प्रसंग होली गुरुजी का अपने गुरुदेव के प्रति एकात्मकता का भाव व्यक्त करता है।
हिंदुधर्म सम्राट परमहंस श्री स्वामी माधवानंदपुरी जी जन्म 1923 ईस्वी मे हुआ तथा 80 वर्ष की आयु मे समाधिस्थ हो गए थे ।
आप भगवान् श्री दीपनारायण महाप्रभुजी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी थे, जिनकी सेवा में 17 वर्ष की आयु के पश्चात् आपने अपना सम्पूर्ण जीवन न्यौछावर कर दिया। गुरुजी ऐसे विरले ही सन्त थे जो उच्चतम यथार्थ की प्राप्ति अपनी श्रद्धा व निरन्तर ध्यान के अभ्यास के द्वारा करते थे। होली गुरुजी के शिष्य जो कुछ समय उनकी सेवा में रहे उनका कहना है कि गुरुजी का सम्पूर्ण जीवन चमत्कारों से युक्त था। गुरुजी भजन लिखने मे आशुकवि थे, तथा महाप्रभुजी तथा अन्य संतो के भजनो का संग्रह करने का भी उनमे उत्साह रहता था। गुरुजी ने अपने गुरुदेव श्रीदीपनारायण महाप्रभुजी के जीवन के संस्मरण तथा उनके जीवन की चमत्कारिक कथाएं स्वरचित ग्रन्थ " लीला‌‌-अमृत " में संग्रहित की ।